Zehan show

Summary: कमी सी है मेरी बातों में कुछ, अल्फ़ाज़ की कमी सी है, तेरी आंखों में कुछ, एहसास की कमी सी है। ऐ मेरी रूह, मेरे अख़्स को आज़ाद रहने दे, तेरे दिल में भी कुछ, जज़्बात की कमी सी है।। मेरी लोरी में तेरे रात की, कमी सी है, जलती शाख़ में, कुछ राख़ की, कमी सी है। सुनाता हूँ कई सपने, सुबह में आईने को अब; उन्ही हर आज जिनमे, साथ की कमी सी है ।।